Last modified on 29 जुलाई 2009, at 18:52

सांई सब संसार में / गिरिधर

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:52, 29 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिधर }} Category:कुण्डलियाँ <poeM>सांई सब संसार में, म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सांई सब संसार में, मतलब को व्यवहार।
जब लग पैसा गांठ में, तब लग ताको यार॥

तब लग ताको यार, यार संगही संग डोलैं।
पैसा रहा न पास, यार मुख से नहिं बोलैं॥

कह 'गिरिधर कविराय जगत यहि लेखा भाई।
करत बेगरजी प्रीति यार बिरला कोई सांई॥