भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साफ-सुथरो घर / रचना शेखावत

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:47, 7 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना शेखावत |संग्रह=मंडाण / नीरज द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ढक देवूं रोसनदान री जाळी
बारणै पर स्प्रिंग लगवा देवूं
कै कबूतरां-चिड़कल्यां रै
घर बणावण री रुत है!
रैवूं एकली राजी
घर साफ-सुथरो है
कठैई न तिणकलो
न कचरो है!