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सूनयाड़ / कन्हैया लाल भाटी

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ओ सूनयाड़ म्हारै आंगणै
कठै सूं बापरियो
म्हैं अणमणो होय’र
आज माथो टेकूं
किण रै खवै
कठै है ऐड़ो कोई बेली-संगी
मांय सूं टूट्‌यां पछै
कदै-कदास हळको हुवण खातर
सांम्ही जाय’र काच रै
खुद सूं खुद बाथेड़ा करू।