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हटा पतझार के पहरा, तनिक मधुमास आवे द / पाण्डेय नर्मदेश्वर सहाय

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हटा पतझार के पहरा, तनिक मधुमास आवे द
उदासल मन का देहरी पर, किरिन सविलास आवे द।

कसक एतना, मसकि जाता करेजा, दर्द अइसन बा
जिये के होसिला लेके, नया उल्लास आवे द।

झुकल आकास देखता, घुटन से जिन्दगी ऊबल
चुकल एहसास, बिनती बा, नया इतिहास आवे द।

अन्हरिया ई, अंजोरिया ऊ, कि दूनो ही कहानी ह
तनिक द खोल खिरकी के, बसंत बहार आवे द।

कि बादल ह, कि झंझा के झकोरा ह बहुत प्यारा
कि तोहरे ह परस प्रीतम, तनिक विसवास आवे द।