भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
है पास दिल के यूँ ख़ास आँखे / आकिब जावेद
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:06, 29 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आकिब जावेद |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
है पास दिल के यूँ ख़ास आँखे
यूँ रहती है आस-पास आँखे
छुपा लिया उसने दर्द अपना
थी सुर्ख़ उसकी बिंदास आँखे
छुपा हुआ कुछ नज़र न आया
था पहने वो भी लिबास आँखे
न पास आया वो दूर जा कर
बिछड़ के उससे इयास आँखे
न दूर जाना यूँ छोड़कर तुम
करेगी ये इल्तिमास आँखे
इयास-नाउम्मीदी