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कुंडलियाँ / रमेशकुमार सिंह चौहान

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1.
करय काम बनिहार हा, पसीना चूचवाय।
अपन पेट ला वो भरय, दू पइसा म भुलाय।।
दू पइसा म भुलाय, अपन घर म खुश रहय रे।
जग के चिंता छोड़, जगे बर वो जीयय रे।।
कइसे कहय ‘रमेश‘, रोज जीयय अऊ मरय।
बिसार खुद के काम, रोज तोरे काम करय।।

2.
जीये बर जरूरी हवय, हमन ला तीन बात।
मुड़ मा होवय छांव गा, मिलय पेट भर भात।।
मिलय पेट भर भात, बदन मा होवय कपड़ा।
पति पत्नि संग होय, रूढ़े मनाय के लफड़ा।।
संगी मन के प्यार, सबो दुख ल लेथे पिये।
ददा दाई के दुलार, देख हमरे बर जीये।।

3.
आसो करवा दे बबा, मोरो तै ग बिहाव।
कानी खोरी कइसनो, खोजे बर तो जाव।।
खोजे बर तो जाव, डहत हे मोर जुवानी।
कइसे बबा सुनाव, अपन मै तोला कहानी।।
हासय संगी मोर, तुहू मन मोला हासो।
फेर कइसनो होय, करा दव बिहाव आसो।।