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सियासत का षड्यन्त्र अपनी जगह है / शिव ओम अम्बर

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सियासत का षड्यन्त्र अपनी जगह है,
मोहब्बत का ऋक्मन्त्र अपनी जगह है।

हैं अपनी जगह क़हक़हें कुर्सियों के,
सिसकता प्रजातन्त्र अपनी जगह है।

प्रखर बुद्धि ने सारी दुनिया बदल दी,
मगर दिल का संयन्त्र अपनी जगह है।

अभी तक है अम्बर का स्वर ज्योतिवाही,
अभी तक ये श्री-यन्त्र अपनी जगह है।