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अळेवण रा ढिगला / रामस्वरूप किसान

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जी करै
बा कविता लिखूं
जकी आज तांईं
कणी लिखी‘न
लिख सकै

पणे कठै लाधै
बा कविता

म्हनैं लागै
जकी लिखूं हूं
बै कविता कोनी
उण कविता नै
सोधण में
तळमाटी करयौड़ै
अळेवण रा ढ़िगला है।