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पाँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो / निमाड़ी

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बधावा [बधाई गीत ]

पॉँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो ,

पॉँच बधावा जो आवत हम देख्या ...........

की प्य्लो बधावो पिया न हो ,

ससरा घर भेजो हो ,दुसरो बधावो सहोदर बाप घर |

की तिस्रो बधावो पिया न हो जेठ घर भेजो हो ,

चोथो बधावो सहोदर वीरा घर |

की पांच्वो बधावो पिया न हो कूख सुलेखनी ,

जिन्ना बतायो रे धन को सोय्लो ......

की अम्बा जो वन की पिया नहो,

कोयल बोल्या हो ,चलो सुआ चलो सुआ ,

अम्बा वन आमली |

की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो ,

मास नी र्ह्य्सा हो

काचा ते वन फल गदराया |

की माची बसंत पिया न हो ,

मोठी बैण बोल्या हो छोटी बैण बोल्या हो,

चलो पिया चलो पिया ,

वीरा घर पावना ,

की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो मास नी र्ह्य्सा

पिया न हो

आठ जो दिन का वीराजी घर पावना

की सोननो नी लयनो पिया न हो,रुप्पो नी लयनो हो,

छोटी भाव्जियारो ग्यनो चित्त लाग्यो |