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मेरे साथ चलना तुमको खबर नहीं है / मासूम गाज़ियाबादी

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मेरे साथ साथ चलना तुमको खबर नहीं है,

दुनिया की मेरे हमदम अच्छी नज़र नहीं है


बदले में अब वफ़ा के मिलती है बेवफाई,

रुसवाई का किसी पे कोई असर नहीं है


किरदार बेचकर अब मिलने लगे हैं ओहदे,

अहले-नज़र में कोई अहले-हुनर नहीं है


सुननी पड़ेगी उनको रूदाद आज वरना,

या मेरा सर नहीं या फिर उनका दर नहीं है


अच्छा नहीं किसी से इस तरह रूठ जाना,

मासूम सी नज़र है माना इधर नहीं है