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चरन-पादुका नेह सों पूजत / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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चरन-पादुका नेह सों पूजत नित अभिराम।
राम-प्रेम-मूरति भरत निवसत नंदीग्राम॥
मन अखंड स्मृति राम की, जीभ राम कौ नाम।
राजत कर जप-माल सुचि, तजे भोग सब काम॥