भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कलम कैवै कसाई रै खिलाफ लिख तूं / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:59, 12 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कलम कैवै कसाई रै खिलाफ लिख तूं
जान लेवा दवाई रै खिलाफ लिख तूं
सावळ पाळी सांस बचती हुवै तो सुण
जापा बिगाड़ दाई रै खिलाफ लिख तूं
नखरो भांगण खातर भाई नै मारै
ऐड़ै हरेक भाई रै खिलाफ लिख तूं
गाभा उतार‘र ओप लावै उणियारै
ऐड़ी रोज कमाई रै खिलाफ लिख तूं
हक चींथणियां रै हकां खातर लड़ै क्यूं
बिरथा शीश कटाई रै खिलाफ लिख तूं