भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देश गजब / जोतारे धाईबा

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:11, 31 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जोतारे धाईबा |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फेवा सुक्ने देश गजब !
मुसा भुक्ने देश गजब !

कलकल गौरव नदी
स्याप्पै रुक्ने देश गजब !

भरथेग कहीँ नपाई,
शिर झुक्ने देश गजब !

दोषी भनी एकअर्कामा,
साटो थुक्ने देश गजब !

गन्हाएर गल्लीबीचमा
त्यसै लुक्ने देश गजब !

वेदनाको रापमा अझै,
आगो फुक्ने देश गजब !