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झेल भो धेरै जिन्दगीमा / कालीप्रसाद रिजाल

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झेल भो धेरै जिन्दगीमा
झेलै झेल भो
मेरो माया उसको लागि
हाँस्ने खेल भो

के दुख्थ्यो र कलेजी यो
रेट्दा करौंतीले
यति साह्रो दुख्यो आज
छाड्दा निष्ठुरीले
कस्तो मायाजालमा पर्यो
त्यै नै काल भो

आफू पर्यो सोझो नि हौ
मीठो गर्थ्यौ कुरा
मुखै मात्र मीठो रैछ
भित्र धारी छुरा
जीउको नाश धनको कती
यस्तो चाल भो