भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पतन / रचना दीक्षित

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:16, 8 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना दीक्षित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुना है गिरना बुरा है
देखती हूँ आसपास
कहीं न कहीं,
कुछ न कुछ
गिरता है हर रोज़
कभी साख गिरना
कभी इंसान का गिरना
इंसानियत का गिरना
मूल्यों का गिरना
स्तर गिरना
कभी गिरी हुई मानसिकता
गिरी हुई प्रवृत्तियां
अपराध का स्तर गिरना
नज़रों से गिरना
और कभी
रुपये का गिरना
सोने का गिरना
बाज़ार का गिरना
सेंसेक्स गिरना
और यहाँ तक
कि कभी तो
सरकार का गिरना
समझ नहीं पाती
ये इनकी चरित्रहीनता है
या
गुरुत्वाकर्षण