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हे अमिताभ / अज्ञेय

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हे अमिताभ !
नभ पूरित आलोक,
सुख से, सुरुचि से, रूप से, भरे ओक :
हे अवलोकित
हे हिरण्यनाभ !

क्योतो, जापान, 6 सितम्बर, 1957