भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर / मनोज पुरोहित ‘अनंत’

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:48, 9 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज पुरोहित ‘अनंत’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ढोइजणों ई हो
घर माणस रो
कांई मोल आटै आगै
कोरै छाणसरो।
घर, क्यांरो घर हो
ईंटां ही राड़ री
चूनो हो सुवारथ रो
भाठा हा बुराई रा
माणस ई कठै हा
डेरा हा कसाई रा।
साची बता
कठै ही नींव
प्रीत री
खाई ही रीत री
कठै हा
सैंथीर निग्गर
जाबक थोथा हा
माणस ई मोथ हा।
कियां ढबतो घर
जकै में रैवंतो डर
हरमेस पड़ण रो
चौखो होयो
जे पड़ग्यो घर।