भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न फोलू सखि कजरायल नयन / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:16, 12 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न फोलू सखि कजरायल नयन
लजयती ई पावस रानी
लजयती ई पावस रानी।
ई थिकीह ऋतुराजक रानी, अहाँ हमर जीवन धान,
हिनक मिलन छनि अहँक सङ हमर मनक चिरबन्धन,
नुकौने रहू कनक घट, बिना पिआसहु मरता विज्ञानी,
लजयती ई पावस रानी।
चंचल पग अगुआय न पग पर बाजि उठत मंजीर,
मन्मथ मन मथि पछतयता, पड़तनि कर जिंजीर,
अधरमे मूनि धरू मुसकान मुरूछि कय खसता सब ज्ञानी,
लजयती ई पावस रानी।
भृकुटि कमान न तानिअ सजनी छुटि पड़य नहि तीर,
मुइनिहार तँ मरत, सुरराज, पजरली डाहेँ इद्राणी,
लजयती ई पावस रानी।
धन-कुन्तल मुख - चन्द्रक ऊपर आबि जखन छितराय,
पीतवसन तन झाँपल देखय चपला चमकि पड़ाय,
मुदा सखि फोलू हृदयक मंच कि नाचब हम दूनू प्राणी,
लजयती ई पावस रानी।