Last modified on 30 जुलाई 2018, at 15:40

'दयादासि' हरि नाम लै, या जग में यह सार / दयाबाई

 'दयादासि' हरि नाम लै, या जग में यह सार।
हरि भजते हरि ही भये, पायो भेद अपार॥
सोवत जागत हरि भजो, हरि हिरदै न बिसार।
डोरा गहि हरि नाम की, 'दया' न टूटै तार।
नारायन नर देह में, पैयत हैं ततकाल।
सतसंगति हरि भजन सूँ, काढ़ो तृस्ना व्याल॥
दया नाव हरि नाम को, सतगुरु खेवन हार।
साधू जन के संग मिलि, तिरत न लागै वार॥