http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%27%E0%A4%AF%E0%A4%B9%E0%A5%80_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%A5%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80_(%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%9A%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81_%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97)_/_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AC_%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2&feed=atom&action=history'यही प्यार की थी कहानी मेरी (पाँचवाँ सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल - अवतरण इतिहास2024-03-29T12:16:32Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%27%E0%A4%AF%E0%A4%B9%E0%A5%80_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%A5%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80_(%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%9A%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81_%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97)_/_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AC_%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2&diff=225089&oldid=prevVibhajhalani: '{{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=प्रीत न करियो क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2017-04-20T05:15:07Z<p>'{{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=प्रीत न करियो क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
<p><b>नया पृष्ठ</b></p><div>{{KKRachna<br />
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल<br />
|संग्रह=प्रीत न करियो कोय / गुलाब खंडेलवाल<br />
}}<br />
[[category:नज़्म]]<br />
<poem><br />
'यही प्यार की थी कहानी मेरी <br />
सुना तुमने जिसको ज़बानी मेरी<br />
कहूँ किस तरह का नशा वह रहा <br />
दिया जिसने दुख अनदिखा, अनकहा<br />
कशिश प्यार की मिट न पायी कभी <br />
बढ़ी उम्र के साथ वह और भी<br />
दिया था जिसे दिल के तलघर में दाब<br />
नशीली हुई और भी वह शराब<br />
'कटी साथ उसके जो रातें कभी<br />
खिँची दिल के परदे पे हैं आज भी<br />
कभी प्यार लेना निगाहों से भाँप<br />
कभी बात चलने की, सुनते ही, काँप <br />
पलटकर छिपा लेना आँसू की बूँद <br />
हथेली से देना मेरे होँठ मूँद<br />
कभी मुँह पे घिरना उदासी का रंग<br />
कभी छेड़कर मुस्कुराने का ढंग<br />
वे दिलकश अदायें, हँसी, कहकहे <br />
मुझे आज तक भी हैं तड़पा रहे <br />
करूँ जोग-जप लाख गीता पढूँ<br />
हिमालय की चोटी पे भी जा चढ़ूँ<br />
नहीं इससे बचने का कोई उपाय <br />
ये वह दर्द है, जान लेकर ही जाय <br />
<poem></div>Vibhajhalani