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अँगना में चकमक, कोहबर अँन्हार / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अँगना में चकमक, कोहबर अँन्हार<ref>अँधेरा</ref>।
नेसि<ref>जला दो</ref> देहु दियरा<ref>दीपक</ref> होयतो<ref>हो जायेगा</ref> इँजोर गे माइ॥1॥
पान अइसन पतरी, सुहाग बाढ़ो<ref>बढ़े</ref> तोर।
साटन<ref>एक बढ़िया रेशमी कपड़ा</ref> के अँगिया समाय<ref>अँटता नहीं है</ref> नहीं कोर<ref>गोद, यहाँ छाती से तात्पर्य है</ref> गे माइ॥2॥
केंचुआ<ref>कंचुकी</ref> के चोरवा भइया, देहु न बँधाय।
रउदा<ref>धूप</ref> में बाँधल भइया, रहतन रउदाय<ref>धूप से व्याकुल</ref>।
अँचरो में बाँधब भइया रहतन लोभाय॥3॥

शब्दार्थ
<references/>