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अँगना में बतासा लुटायम हे, अँगना में / मगही

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आँख अँजाई

अँगना में बतासा<ref>खालिस शक्कर की बनी एक खोखली मिठाई</ref> लुटायम<ref>लुटाऊँगी</ref> हे, अँगना में॥1॥
सासू जे ऐतन<ref>आयेंगी</ref> देवोता<ref>देवता</ref> मनौतन<ref>मनौती करेंगी अथवा पूजेंगी</ref>।
उनका के पीरी<ref>पीली साड़ी</ref> पेन्हायम<ref>पहनाऊँगी</ref> हे, अँगना में॥2॥
देवोतो मनावे में कसर-मसर<ref>कोर-कसर, कमी</ref> करतन<ref>करेंगी</ref>।
धीरे से पीरी उतार लेम हे, अँगना में॥3॥
गोतिनी जे ऐतन पंथ<ref>पथ्य</ref> रँधौतन<ref>राँधेंगी, सिद्ध करेंगी</ref>।
उनको के पीरी पेन्हायम हे, अँगना में॥4॥
पंथ रँधावे में कसर-मसर करिहें।
धीरे से पियरी उतार लेम हे, अँगना में॥5॥
ननद जे ऐतन आँख अँजौतन<ref>आँख आँजेंगी</ref>।
उनको के कँगना पेन्हायम हे, अँगना में॥6॥
आँख अँजौनी में कसर-मसर करतन।
धीरे से कँगना उतार लेम हे, अँगना में॥7॥
(यह गीत मुस्लिम-परिवारों में भी प्रचलित है, लेकिन दोनों में भाषा के साथ रस्म-रिवाजों में अंतर है। दे. खंड 4, गीत सं. 6)

शब्दार्थ
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