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अँगना में रोपलूँ हम नेमुआँ खिरकिया अनार जी / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अँगना में रोपलूँ हम नेमुआँ<ref>नींबू</ref> खिरकिया<ref>खिड़की</ref> अनार जी।
दरोजे<ref>दरवाजा</ref> पर रोपलूँ नौरँगिया, बगीचवे में आम जी॥1॥
अँगना में फूलल<ref>पुष्पित हुआ</ref> नेमुआ, खिरकिया अनार जी।
दरोजे पर फरल<ref>फला</ref> नौरँगिया, बगीचवे में आम जी॥2॥
अँगना के नेमुआ हइ खट्टा, हइ मिट्ठा अनार जी।
खटमिठ लगे नौरँगिया, मीठे-मीठे आम जी॥3॥
हम खायम<ref>खाऊँगी</ref> नेमुआ के निमकी, सइयाँ जी अनार जी।
ननदी के देबइ नौरँगिया, होरिलवा के आम जी॥4॥

शब्दार्थ
<references/>