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"अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ / ज्ञान प्रकाश विवेक" के अवतरणों में अंतर
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21:06, 28 नवम्बर 2009 का अवतरण
हाथ में लेकर खड़ा है बर्फ़ की वो सिल्लियाँ
धूप की बस्ती में उसकी हैं यही उपलब्धियाँ
आसमा की झोपड़ी में एक बूढ़ा माहताब
पढ़ रहा होगा अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ
फूल ने तितली से इकदिन बात की थी प्यारकी
मालियों ने नोंच दीं उस फूल की सब पत्तियाँ
मैं अंगूठी भेंट में जिस शख्स को देने गया
उसके हाथों की सभी टूटी हुई थी उँगलियाँ