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"अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ / ज्ञान प्रकाश विवेक" के अवतरणों में अंतर

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हाथ में लेकर खड़ा है बर्फ़ की वो सिल्लियाँ
 
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धूप की बस्ती में उसकी हैं यही उपलब्धियाँ
 
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आसमा की झोपड़ी में एक बूढ़ा माहताब
 
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पढ़ रहा होगा अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ  
 
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फूल ने तितली से इकदिन बात की थी प्यारकी  
 
फूल ने तितली से इकदिन बात की थी प्यारकी  
 
 
मालियों ने नोंच दीं उस फूल की सब पत्तियाँ  
 
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मैं अंगूठी भेंट में जिस शख़्स को देने गया  
मैं अंगूठी भेंट में जिस शख्स को देने गया  
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उसके हाथों की सभी टूटी हुई थी उँगलियाँ
 
उसके हाथों की सभी टूटी हुई थी उँगलियाँ
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11:24, 13 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

हाथ में लेकर खड़ा है बर्फ़ की वो सिल्लियाँ
धूप की बस्ती में उसकी हैं यही उपलब्धियाँ

आसमा की झोपड़ी में एक बूढ़ा माहताब
पढ़ रहा होगा अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ

फूल ने तितली से इकदिन बात की थी प्यारकी
मालियों ने नोंच दीं उस फूल की सब पत्तियाँ

मैं अंगूठी भेंट में जिस शख़्स को देने गया
उसके हाथों की सभी टूटी हुई थी उँगलियाँ