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अंगना में चाॅंद / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

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अरे ओ, गुलाब फूल,
तोहे दै छै बड़ी शूल।
पिया संग मिलन रात,
प्रेम ग्रंथ के छै ई मूल।
तोरा देखी लागै छै गुलाब
पिया नगीचे में बैठी केॅ हमरोॅ
लाल रंग लै केॅ तोरोॅ,
रंगी देलकै हमरोॅ परान।
साँसों में सुगंध के समान
बसै छै पिया, हमरे जान,
कण-कण में रूप देखौं हुनके,
हाय कोय लागै सुंदर लोभान।
पिया संग रोॅ केकरा नै गुमान,
केना हम्में आधोॅ-अधूरा परान,
हम्में तेॅ पावी गुलाबोॅ के संग,
गुलाबी होय गेलोॅ छै हमरोॅ गान।
नया-नया होतै फेरू-फेरू विहान
पी संग करबै रातोॅ के सम्मान
फेरू हमरा अंगना में एैतै,
नया-नया सुन्नर चाँन।