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अंगोरा सन धूल / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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जेठरॅ दुपहरिया में
पछिया बतास चलै।
आग कॅ अंगोरा लागै
धरती रॅ धूल।
आग सन धूल, अंगोरा सन धूल।

ताल रे तलैया में,
फटलै दरस्बा जी।
नदी विरहिनयाँ रॅ
बड़ी दूर कूल।
आग सन धूल, अंगोरा सन धूल।

छर-छर पसीना चलै,
मनमा बेकल लागै
सूखै छै करेजा रॅ
भैया हो भूल।
आग सन धूल, अंगोरा सन धूल।

घैला रॅ पानी अजी!
प्यास बढ़ाबै दूना।
बिनयाँ डुलाना लागै
विलकुल भूल।
आग सन धूल, अंगोरा सन धूल।

वन के पखेरू सब
नीड़बा में ऊँधौ झूपै।
छाँह पीपलबा के-
तनी अनुकूल।
आग सन धूल, अंगोरा सन धूल।

जेठ केॅ दुपहरिया सें
मत घबडाबॅ भैया!
खिलतै अखड़वा में
सोना रॅ फूल।
आग सन धूल, अंगोरा सन धूल।

-26.07.1969