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"अंजन की सीटी में / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

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अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले
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चला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले
  
अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले<br>
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बीजळी को पंखो चाले, गूंज रयो जण भोरो
चला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले ।।<br><br>
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बैठी रेल में गाबा लाग्यो वो जाटां को छोरो
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चला चला रे...
  
बीजळी को पंखो चाले, गूंज रयो जण भोरो <br>
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डूंगर भागे, नंदी भागे और भागे खेत
बैठी रेल में गाबा लाग्यो वो जाटां को छोरो ।। <br>
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ढांडा की तो टोली भागे, उड़े रेत ही रेत
चला चला रे ।।<br><br>
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चला चला रे...
  
डूंगर भागे, नंदी भागे और भागे खेत<br>
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बड़ी जोर को चाले अंजन, देवे ज़ोर की सीटी
ढांडा की तो टोली भागे, उड़े रेत ही रेत ।। <br>
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डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टी
चला चला रे ।।<br><br>
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चला चला रे...
  
बड़ी जोर को चाले अंजन, देवे ज़ोर की सीटी<br>
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जयपुर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधी
डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टी ।। <br>
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असी जोर को धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधी
चला चला रे ।।<br><br>
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चला चला रे...
  
जयपुर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधी <br>
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'''शब्दार्थ:'''
असी जोर को धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधी ।। <br>
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डलेवर= ड्राईवर
चला चला रे ।।<br><br>
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गाबा= गाने लगना
 
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डूंगर= पहाड़
'''शब्दार्थ:'''<br>
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नंदी= नदी
डलेवर= ड्राईवर<br>
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ढांडा= जानवर
गाबा= गाने लगना<br>
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जद= जब (जदी, जर और जण भी कहा जाता है)
डूंगर= पहाड़<br>
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असी= ऐसा, इतना
नंदी= नदी <br>
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ढांडा= जानवर <br>
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जद= जब (जदी, जर और जण भी कहा जाता है) <br>
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असी= ऐसा, इतना<br><br>
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06:56, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले
चला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले

बीजळी को पंखो चाले, गूंज रयो जण भोरो
बैठी रेल में गाबा लाग्यो वो जाटां को छोरो
चला चला रे...

डूंगर भागे, नंदी भागे और भागे खेत
ढांडा की तो टोली भागे, उड़े रेत ही रेत
चला चला रे...

बड़ी जोर को चाले अंजन, देवे ज़ोर की सीटी
डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टी
चला चला रे...

जयपुर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधी
असी जोर को धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधी
चला चला रे...

शब्दार्थ:
डलेवर= ड्राईवर
गाबा= गाने लगना
डूंगर= पहाड़
नंदी= नदी
ढांडा= जानवर
जद= जब (जदी, जर और जण भी कहा जाता है)
असी= ऐसा, इतना