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उसने जला डाला
 
उसने जला डाला
मेरा घास–फूस का घर
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मेरा घास-फूस का घर
 
पर नहीं जला पाया
 
पर नहीं जला पाया
 
पैरों तले की धरती
 
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और
 
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सिर पर का आसमान
 
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उसने लगवा दिए ताले
 
उसने लगवा दिए ताले
 
मेरे होठों पर
 
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पर नहीं रोक सका मेरे
 
पर नहीं रोक सका मेरे
 
रोम छिद्रों से बहता पसीना
 
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झल्लाकर
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उसने काट डाले मेरे
 
उसने काट डाले मेरे
 
हाथ और पैर
 
हाथ और पैर
 
फिर भी डोलता रहा आसन
 
फिर भी डोलता रहा आसन
 
मेरे दिल की धड़कनों से
 
मेरे दिल की धड़कनों से
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अन्ततः
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उसने झोंक दिया मुझको
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बिजली की भट्ठी में
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पर नहीं छीन सका मुझसे
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अंसख्य-असंख्य माँओं की  कोखें
  
अन्तत:
 
उसने झोंक दिया मुझको 
 
बिजली की भट्ठी में
 
पर
 
नहीं छीन सका मुझसे
 
अंसख्य–असंख्य माँओं की कोखें ।
 
 
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03:57, 29 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

उसने जला डाला
मेरा घास-फूस का घर
पर नहीं जला पाया
पैरों तले की धरती
और
सिर पर का आसमान
उसने लगवा दिए ताले
मेरे होठों पर
पर नहीं रोक सका मेरे
रोम छिद्रों से बहता पसीना
झल्लाकर
उसने काट डाले मेरे
हाथ और पैर
फिर भी डोलता रहा आसन
मेरे दिल की धड़कनों से
अन्ततः
उसने झोंक दिया मुझको
बिजली की भट्ठी में
पर नहीं छीन सका मुझसे
अंसख्य-असंख्य माँओं की कोखें