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अंतिम प्रार्थना / वाल्ट ह्विटमैन

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अंत में, धीरे-धीरे
मज़बूत किलेबंद घर की दीवारों से,
गुँथी हुई लटों की जकड़ से ,अच्छी तरह बंद
दरवाज़ों की सुरक्षा से
मुझे उड़ा ले जाने दो।
 
मुझे चुपके से आगे सरकने दो;
कोमलता की कुंजी से ताले खोलो - फुसफुसाहट के साथ,
द्वार खोल दो, ओ आत्मा!
 
धीरे धीरे - अधीर न हो,
प्रबल है तुम्हारी पकड़, ओ नश्वर देह!
प्रबल है तुम्हारी पकड़, ओ प्रेम!


अंग्रेज़ी से अनुवाद : डॉ० दिनेश्वर प्रसाद