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मैं बुनूँगा सपने,
तुम्हारे अन्तः वस्त्रों के चटक रंग धागों से!
पर इससे पहले कि उस दिवार दीवार पर-
:::जहाँ धुंध की तरह दिखते हैं तुम्हारे बिखराए बादल
:::जिनमें से झांक रहा हैं एक दागदार चाँद!