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अंत-अंत तक पिया बाँह में / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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अंत-अंत तक पिया वाँह में तोंयतेॅ झूली गेल्हेॅ जी।
मतुर स्वर्ग गेला के बादे प्रियतम भूली गेल्हेॅ जी।
स्वर्ग लोक सेॅ बेशी सुन्दर
आपनें धरती लागै छै।
यही लेल उर्वशी स्वर्ग सें
धरती भागी आबै छै
तोंहें उर्वशी हम्में पुरूरवा ई बात केनाँ भूल लेहॅ जी।
अंत-अंत तक पिया वाँह में तोंयतेॅ झूली गेल्हेॅ जी।
पाँच महीना बीतै छै।
खोज खबर नैं करनें छै।
समय कटै छै केनां हमरो।
पता लगाय नैं धरनें छै।
विरह ताप झुलसाबै हमरा तों बेसिल्ली भेल्हेॅ जी।
अंत-अंत तक पिया वाँह में तोंयतेॅ झूली गेल्हेॅ जी।
अता पता कुछ नैं छौ तौरोॅ
कहाँ संदेशा भेजिहोॅ जी।
नैं भेजे छॅ नम्बर आपनोॅ
बात केनाँ केॅ करिहौ जी।
गुम सुम कैहिनें बैठली छे तोंय, कहाँ में ढूली गेल्हेॅ जी।
अंत-अंत तक पिया वाँह में तोंयतेॅ झूली गेल्हेॅ जी।
मतुर स्वर्ग गेला केॅ बादे प्रियतम भूली गेल्हेॅ जी।

02/06/15 दुपहर तीन बजे