भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंदरक गंगा / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:54, 12 सितम्बर 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमरा अंदर बहैत अछि
एकटा गंगा
ओहिमे चुभकैत अछि
बेदरा-बेदरी
मरद-स्त्री
बुढ़बा-बुढ़िया
मछबार मारैत अछि
किसिम-किसिमक माछ
महीसबार नहबैत अछि
महीस-महिसीकें
पाबनि-तिहारमे
बढ़ि जाइत छैक
घाट परक पंडाक रोआब
हजामक कैंचीमे
आबि जाइत छैक फुर्ती
भिखारिक भीख
अहगर भऽ जाइ छैक
पुलिसक बढ़ि जाइत छैक
आमदनी।