Last modified on 20 अक्टूबर 2019, at 23:48

अंधेरे में किरण / उर्मिल सत्यभूषण

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:48, 20 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिल सत्यभूषण |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अंधेरे में किरण बन
पथ दिखाने कौन आया है?
तिमिर को भेद कर अब
जगमगाने कौन आया है?
बहुत लम्बी निशा बीती
अंधेरी कालिमा वाली
बहुत ही दूर लगती थी
उषा वह लालिमा वाली
मगर अब प्राची को अरुणिम
बनाने कौन आया है?
गये मुर्झा पल्लव सब
तरू सूखे थे उपवन के
उड़ा सौरभ, उड़े सुन्दर
सभी शृंगार कानन के
मगर अब केसरी खुशबू
फैलाने कौन आया है
कभी गुम हो गई थी, जो
मधुर आवाज़ वेणु की
बहुत बीते दिवस घड़िया
मिली न राह सृजन क्षण की
अधर पर गीत बन अब
मुस्कुराने कौन आया है?