भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अइलै माता राजेश्वरी भवनमा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अइलै माता राजेश्वरी भवनमा, श्री सतपाल ललनमा ना।
अइलै योगिराज हंस सदनमा श्री सतपाल ललनमा ना।
योगिराज हंस बड़ी खुश होलै, नाचेॅ लागलै प्रेमीगण माहत्मा।।
श्री राजेश्वरी भवनमा ना।
योगिराज हंस खुशी सेॅ भरलोॅ प्रेमी बीच बाँटे मिष्टनमा
श्री राजश्वरी भवनमा ना।
इक्कीस सितंबर उन्नीस सौ इकावन, धरती पर अइलै सतपाल भगवनमा
श्री राजेश्वरी भवनमा ना।
नाम संस्कार भेलै, पंडित करै मंत्र उच्चारण
श्री राजेश्वरी भवनमा ना।