http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%9F_/_%E2%80%98%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%B2%E2%80%99_%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80&feed=atom&action=historyअकुलाहट / ‘मिशल’ सुल्तानपुरी - अवतरण इतिहास2024-03-28T23:36:04Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%9F_/_%E2%80%98%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%B2%E2%80%99_%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80&diff=191116&oldid=prevSharda suman: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=‘मिशल’ सुल्तानपुरी |अनुवादक=सत्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2015-04-19T05:01:58Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=‘मिशल’ सुल्तानपुरी |अनुवादक=सत्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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{{KKRachna<br />
|रचनाकार=‘मिशल’ सुल्तानपुरी<br />
|अनुवादक=सत्यभामा राज़दान<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
जून का दिन, दोपहर और तपता नभ<br />
आँखें सूरज की<br />
नज़रों में लेकर<br />
हजारों ‘नमरूदी’ कुंभीपाकों की लपटें<br />
पग-पग पर दहकाती ज़हन्नुम<br />
हमारे लिए<br />
<br />
थका-हारा राही<br />
कँवल चेहरा तमसाया<br />
सावन की क्षीण-जर्जर लता जैसी काया<br />
पसीने से तर माथा<br />
पिघला मक्खन का ढेला ज्यों<br />
<br />
वह छाँव में बैठा<br />
सोचा मैंने<br />
नींद की परी ऐसे ही राजकुमारों का<br />
मन मचलाती मोह लेती है<br />
पहुँचा जो झपटमारों की ऐसी बस्ती मं<br />
झपकी लगते ही छीन लेंगे हाथ-पैर<br />
फिर लाए कहाँ से बेचारा बैसाखी<br />
देकर ज़रा-सा सहारा<br />
बदले में माँगेंगे गुर्दा<br />
जाएगा याचना लेकर पुतलियाँ देकर<br />
बोलत भर-भर ख़ून पिलाना होगा ग़वाहों को<br />
तभी खुलेगा पट न्याय का<br />
फिर जब दिखेगा वहाँ मैदान में<br />
टूट पड़ेंगी चीलें और गिद्ध उस पर<br />
नोच-नोच लेंगे अंग-अंग<br />
बचेगा बस हड्डियों का ढाँचा<br />
इस अंधेर नगरी में<br />
जो गिरा उसी पर टूट पड़े<br />
नरभक्षी कौवे<br />
ऊपर से ताक में है आकाश<br />
<br />
कि चूस लूँ खून इसका<br />
नीचे खुली ज़मीन भुक्खाई<br />
पेड़-पौधे सभी बने यमदूतंच<br />
</poem></div>Sharda suman