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अकेला चल, अकेला चल / गुलाब खंडेलवाल
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22:41, 13 जनवरी 2007
सितारे आप हैं भटके हुए, उनको पता क्या है!
सभी हैं खेल
श्ब्दों
शब्दों
के, किताबों में धरा क्या है!
निकल इस जाल से, पागल!
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Vibhajhalani