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अकेलो पंहिंजे अॻियां वेठो होसि, / अर्जुन हासिद
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अकेलो पंहिंजे अॻियां वेठो होसि,
चयुमि थे, झट थो उथां वेठो होसि!
पथारे झोल तमन्नाउनि जो,
मिली वञे की किथां, वेठो होसि!
कॾहिं त राह जे पत्थर वांगुर,
ॾिसां, ॿुधां, न कुछां, वेठो होसि!
गुलनि जी महक ॾिनी बेचैनी,
वियो लंघे को हितां, वेठो होसि!
पुछां का ॻाल्हि लॻां वेचारो,
किथे वञी हा लिकां, वेठो होसि!
तनाउ सोच जो एॾो हासिद,
लिखां ॿ लफ़्ज़, मुंझां, वेठो होसि!