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"अक्कड़ मक्कड़ / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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अक्कड़ मक्कड़ ,
+
अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कड,  
धूल में धक्कड़,
+
दानिा ि‘ुरख दानिों ’³कड,  
दोनों मूरख,
+
हाट स िbौट,ि ठाट स िbौट,ि
दोनों अक्खड़,
+
एक साथ एक हाट स िbौट,ि
हाट से लौटे,
+
ठाठ से लौटे,
+
एक साथ एक बाट से लौटे.
+
  
बात-बात में बात ठन गयी,
+
~ात ~ात ‘ें ~ात ठन गई,  
बांह उठीं और मूछें तन गयीं.
+
~ाँह उठी और ‘ूँछ ितन गई,
इसने उसकी गर्दन भींची,
+
इसन िउसकी गर्दन भीची,  
उसने इसकी दाढी खींची.
+
उसन िइसकी दाढी खींची,  
अब वह जीता, अब यह जीता;
+
दोनों का बढ चला फ़जीता;
+
लोग तमाशाई जो ठहरे
+
सबके खिले हुए थे चेहरे !
+
  
मगर एक कोई था फक्कड़,
+
अ~ वह जीता, अ~ वह जीता,  
मन का राजा कर्रा - कक्कड़;
+
दानिों का चb डिा ’जीता,
बढा भीड़ को चीर-चार कर
+
bागि त‘ाशाई जा िठहर,ि
बोला ‘ठहरो’ गला फाड़ कर.
+
स~क िेखb िहुए थ िचहिर,ि
  
अक्कड़ मक्कड़ ,
+
‘गर उन‘ें था काईि ’क्कड,  
धूल में धक्कड़,
+
‘न का राजा कर्राक³कड,  
दोनों मूरख,
+
~डी भीड का िचीर-चार कर,  
दोनों अक्खड़,
+
~ाbिा ठहरों गbा ’ाड कर,  
गर्जन गूंजी, रुकना पड़ा,
+
सही बात पर झुकना पड़ा !
+
  
उसने कहा सधी वाणी में,
+
उसन िकहा सधी ~ाणी ‘ें,  
डूबो चुल्लू भर पानी में;
+
डु~ा िचुल्‌bुभर ािनी ‘ें,
ताकत लड़ने में मत खोऒ
+
ताकत bडन ि‘ें ‘त खाआि,ि
चलो भाई चारे को बोऒ!
+
चbा िभाई चारें का ि~ाआि ि।
  
खाली सब मैदान पड़ा है,
+
खाbी स~ ‘ैदान डिा है,  
आफ़त का शैतान खड़ा है,
+
आ’त का शैतान खडा है,  
ताकत ऐसे ही मत खोऒ,
+
ताकत एसि िही ‘त खाआि,ि
चलो भाई चारे को बोऒ.
+
चbा िभाई चार िका ि~ाआि ि।
 +
 
 +
सुनी ‘ुर्खो न िज~ ¶ह ~ाणी,
 +
दानिा िजैस िािनी - ािनी,
 +
bडना छाडिा अbग हट गए,
 +
bागि शर्‘ स िगb िछट गए,
 +
 
 +
स~का िनाहक bडना अखरा,
 +
ताकत भूb गई त~ नखरा,
 +
गb िे‘b ित~ अ³कड-~³कड,
 +
खत्‘ हा िग¶ा धुb ‘ें ध³कड,
 +
 
 +
अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कड,
 +
दानिा ि‘ुरख दानिों ’³कड ।
  
 
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16:38, 27 दिसम्बर 2011 का अवतरण

अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कड,
दानिा ि‘ुरख दानिों ’³कड,
हाट स िbौट,ि ठाट स िbौट,ि
एक साथ एक हाट स िbौट,ि

~ात ~ात ‘ें ~ात ठन गई,
~ाँह उठी और ‘ूँछ ितन गई,
इसन िउसकी गर्दन भीची,
उसन िइसकी दाढी खींची,

अ~ वह जीता, अ~ वह जीता,
दानिों का चb डिा ’जीता,
bागि त‘ाशाई जा िठहर,ि
स~क िेखb िहुए थ िचहिर,ि

‘गर उन‘ें था काईि ’क्कड,
‘न का राजा कर्राक³कड,
~डी भीड का िचीर-चार कर,
~ाbिा ठहरों गbा ’ाड कर,

उसन िकहा सधी ~ाणी ‘ें,
डु~ा िचुल्‌bुभर ािनी ‘ें,
ताकत bडन ि‘ें ‘त खाआि,ि
चbा िभाई चारें का ि~ाआि ि।

खाbी स~ ‘ैदान डिा है,
आ’त का शैतान खडा है,
ताकत एसि िही ‘त खाआि,ि
चbा िभाई चार िका ि~ाआि ि।

सुनी ‘ुर्खो न िज~ ¶ह ~ाणी,
दानिा िजैस िािनी - ािनी,
bडना छाडिा अbग हट गए,
bागि शर्‘ स िगb िछट गए,

स~का िनाहक bडना अखरा,
ताकत भूb गई त~ नखरा,
गb िे‘b ित~ अ³कड-~³कड,
खत्‘ हा िग¶ा धुb ‘ें ध³कड,

अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कड,
दानिा ि‘ुरख दानिों ’³कड ।