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अगर खुद से हमारी आप ही पहचान हो जाये / रंजना वर्मा

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अगर खुद से हमारी आप ही पहचान हो जाये
समझिये आदमी यह आज का इंसान हो जाये

लड़ें हम किसलिये मजहब धरम का नाम ले लेकर
अगर भगवान में शामिल स्वयं रहमान हो जाये

कहीं हिन्दू के मंदिर हैं कहीं मस्जिद या गिरजाघर
सभी मे बस रहा है जो वो बस भगवान हो जाये

करें हम वन्दना माँ की इबादत आप भी कर लें
यही धरती हमारा धर्म अरु ईमान हो जाये

हमेशा ही खुले दिल से किया सम्मान है हम ने
अगर दुश्मन भी आकर के कभी मेहमान हो जाये

बढ़े यदि हाथ कोई तो लगा लें हम गले बढ़ कर
दिखाये आँख कोई नाश को तूफ़ान हो जाये

वतन का कर्ज है सब पर उतारें यह जरूरी है
भले बलिदान उस पर अब हमारी जान हो जाये