भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
Kavita Kosh से
Purshottam abbi "azer" (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:41, 16 सितम्बर 2011 का अवतरण
अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो
समझ लो लिखी मेरी तक्दीर में हो
सभी सांस लें हम यूं खुल के हवा में
मुक्द्दर किसी का न जंजीर में हो
लिखा मैंने खत हैं क्यूं उत्तर न आया
जरुरी नहीं उसकी तहरीर में हो
न पूछा किसी ने भी जिन्दे को पानी
बना मक्बरा उसकी तौकीर में हो
ये रौशन अगर थोड़ी दुनिया है"आज़र"
तुझे क्या पता तेरी तन्वीर में हो