"अगर बचे कुछ फूल / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} {{KKCatDoha}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
हीरे, सोने से परे तुम हो मन की आस। | हीरे, सोने से परे तुम हो मन की आस। | ||
तुझ बिन दो पल ना चले, जर्जर तन की साँस। | तुझ बिन दो पल ना चले, जर्जर तन की साँस। | ||
− | + | काला दिन जब आ गया, लेकर सब हथियार | |
− | - | + | आद्या ने डटकर किया, क्रूरा का संहार |
− | + | 57 | |
− | + | थामी जब तक हाथ में, तुमने जीवन-डोर। | |
+ | अँधियारे टिकते कहाँ, जब हो संग में भोर। | ||
+ | 58 | ||
+ | जग- सम्बन्धों से परे, तुम हो परम् उदार। | ||
+ | रोम रोम खुशबू भरे, तुम हो केवल प्यार। | ||
+ | 59 | ||
+ | विकट कपट जग में भरा, होती कब पहचान। | ||
+ | संग तुम्हारा जो मिला , छलिया थे हैरान। | ||
+ | 60 | ||
+ | जनम-जनम के कर्म का, केवल यही विधान। | ||
+ | भले -बुरे के रूप की , हो जाती पहचान।। | ||
+ | 61 | ||
+ | नीच लोग करते रहे, तिकड़म सौ-सौ बार। | ||
+ | तोड़ नहीं पाए कभी, निर्मल मन का प्यार। | ||
</poem> | </poem> |
17:43, 29 मार्च 2021 का अवतरण
50
जंगल काँटों का घना, विषधर चारों ओर।
निश्चय होती है सदा, अँधियारे की भोर।
51
गाँव ,गली से द्वार तक, फैली है बारूद।
आँगन तक पहुँचे नहीं, कैसे बचे वजूद।
52
बहुत कुछ यहाँ बच गया, अगर बचे कुछ फूल।
जीवन में खुशबू रहे ,दूर हटें सब शूल।
53
सींच भाव से मन-भूमि , दे डाला उपहार।
रूप हज़ारों हों भले, एक नाम है प्यार।
54
विधना से अब तक किया,मैंने यही सवाल।
वसन्त ले पतझर दिए, हमको पूरे साल।
55
मन से की आराधना, सुख थे सागर पार।
असुर खड़े घर द्वार पर,करते हाहाकार।
56
हीरे, सोने से परे तुम हो मन की आस।
तुझ बिन दो पल ना चले, जर्जर तन की साँस।
काला दिन जब आ गया, लेकर सब हथियार
आद्या ने डटकर किया, क्रूरा का संहार
57
थामी जब तक हाथ में, तुमने जीवन-डोर।
अँधियारे टिकते कहाँ, जब हो संग में भोर।
58
जग- सम्बन्धों से परे, तुम हो परम् उदार।
रोम रोम खुशबू भरे, तुम हो केवल प्यार।
59
विकट कपट जग में भरा, होती कब पहचान।
संग तुम्हारा जो मिला , छलिया थे हैरान।
60
जनम-जनम के कर्म का, केवल यही विधान।
भले -बुरे के रूप की , हो जाती पहचान।।
61
नीच लोग करते रहे, तिकड़म सौ-सौ बार।
तोड़ नहीं पाए कभी, निर्मल मन का प्यार।