Last modified on 11 अप्रैल 2020, at 19:31

अगर सीढ़ियाँ होती तो / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

अगर सीढ़ियाँ होती तो हम
सब बच्चे ऊपर चड़ जाते।
नीले इस आकाश पटल पर
सरपट सरपट दौड़ लगाते।
सूरज को जा हमी जगाते
लाल गेंद-सा उसे उठाते।
हिलमिल कर हम सारे बच्चे
उससे कितने खेल रचाते
फिर उसे भेज देते धरती पर
किरण पकड़ हम नीचे आते।
सन्ध्या समय थके सूरज को
उसके घर पहुँचाने जाते।
घिरती रात चाँद तारों संग
भाँति भाँति के चित्र बनाते।
कभी अल्पना, कभी रंगोली
उत्सव कर सब ओर सजाते।
टिमटिम तारे क्या कहते हैं
उनसे पूछ-पूछ कर आते।
क्यो दिन में छिप जाते हैं वे
रातों में क्यों मुख चमकाते।
शायद सूरज से डरते हैं वो
इसीलिए दीन में छिप जाते।