Last modified on 20 फ़रवरी 2017, at 12:56

अगर सुबह भी / श्रीप्रसाद

सूरज की किरणें आती हैं
सुंदर कलियाँ खिल जाती हैं
अंधकार सब खो जाता है
सब जग सुंदर हो जाता है

चिड़ियाँ गाती हैं मिल-जुलकर
बहते हैं उनके मीठे स्वर
ठंडी-ठंडी हवा सुहानी
चलती है जैसे मस्तानी

यह प्रातः की सुख-बेला है
धरती का सुख अलबेला है
नई ताजगी, नई कहानी
नया जोश पाते हैं प्राणी

खो देते हैं आलस सारा
और काम लगता है प्यारा
सुबह भली लगती है उनको
मेहनत प्यारी लगती जिनको

मेहनत सबसे अच्छा गुण है
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है
अगर सुबह भी अलसा जाए
तो क्या जग सुंदर हो पाए।