http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A4%B0_/_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6&feed=atom&action=historyअगर / श्रीप्रसाद - अवतरण इतिहास2024-03-29T08:17:29Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A4%B0_/_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6&diff=220497&oldid=prevLalit Kumar: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2017-02-20T07:28:43Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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|रचनाकार=श्रीप्रसाद<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=मेरी प्रिय बाल कविताएँ / श्रीप्रसाद<br />
}}<br />
{{KKCatBaalKavita}}<br />
<poem><br />
अगर नहीं यह सूरज होता<br />
तो होता अँधियारा<br />
अगर न आता चाँद, न लगता<br />
आसमान यह प्यारा<br />
<br />
अगर नहीं ये तारे होते<br />
चमकीले-चमकीले<br />
आसमान में कहाँ चमकते<br />
झिलमिल नीले-पीले<br />
<br />
और अगर ये रंगबिरंगे<br />
फूल न खिलते होते<br />
तो क्या होता, हम फूलों की<br />
यह सुंदरता खोते<br />
<br />
बेलें होतीं नहीं, न होते<br />
पेड़ झूमने वाले<br />
पर्वत होते नहीं कहीं<br />
आकाश चूमने वाले<br />
<br />
नदियाँ, ताल और झरना भी<br />
नहीं एक भी होता<br />
निर्मल पानी का पत्थर से<br />
कहीं न बहता सोता<br />
<br />
अगर नहीं होते इतने पशु<br />
पक्षी कहीं न गाते<br />
तो हम कैसे इस दुनिया में<br />
अपना मन बहलाते<br />
<br />
इस दुनिया में सब-कुछ ही है<br />
लगती इससे प्यारी<br />
कौन देख पाता वरना ये<br />
सुंदर दुनिया सारी।<br />
<br />
</poem></div>Lalit Kumar