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अगहन की शाम / देवेन्द्र कुमार
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यह अगहन की शाम !
सुबह-सुबह का सूर्य सिन्होरा
सोना, ईगुर, घाम ।
सोलह डैनों वाली चिड़िया
रंगारंग फूलों की गुड़िया
कहीं बैठ कर लिखती होगी
चिट्ठी मेरे नाम ।
देव उठाती, सगुन पठाती
रात जलाती घी की बाती
दोनों हाथ दूर से झुककर
करती चाँद-प्रणाम ।
सुनो-सुनो खेतों की रानी
तालों में घुटनों भर पानी
लम्बी रात खड़ी कुहरे में
खिड़की पल्ले थाम ।