Last modified on 28 मार्च 2016, at 05:02

अगूंण कानी आंख / सांवर दइया

चौफेर रात रो राज
दडूकै डाकी अंधारो

थर-थर धूजतो म्हैं
रात काटूं
अगूण कानी आंख करियां

चिडकल्यां री चीं-चीं सुण
जी में जी आवै
होळै-होळै भाख फाटै

अगूण में पसरण लागै उजास….