भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अग्नि-वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है (ग़ज़ल) / एहतराम इस्लाम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (Dkspoet moved page अग्नि-वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है / एहतराम इस्लाम to [[अग्नि-वर्षा है तो है हाँ बर्...)
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=एहतराम इस्लाम  
 
|रचनाकार=एहतराम इस्लाम  
 +
|संग्रह= है तो है / एहतराम इस्लाम
 
}}
 
}}
[[Category:ग़ज़ल]]<poem>
+
{{KKCatGhazal}}
 
+
<poem>
अग्नि वर्षा है तो है हाँ बर्फबारी है तो है,
+
अग्नि वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है,
मौसमों के दरमियाँ इक जंग जारी है तो है |
+
मौसमों के दरमियाँ इक जंग जारी है तो है
  
 
जिंदगी का लम्हा लम्हा उसपे भारी है तो है,
 
जिंदगी का लम्हा लम्हा उसपे भारी है तो है,
क्रांतिकारी व्यक्ति कुछ हो क्रांतिकारी है तो है |
+
क्रांतिकारी व्यक्ति कुछ हो क्रांतिकारी है तो है
  
मूर्ति
+
मूर्ति सोने की निरर्थक वस्तु है उसके लिए,
सोने की निरर्थक वस्तु है उसके लिए,
+
मोम की गुड़िया अगर बच्चे को प्यारी है तो है
मोम की गुड़ि
+
या अगर बच्चे को प्यारी है तो है |
+
  
 
खूँ- पसीना एक करके हम सजाते हैं इसे,
 
खूँ- पसीना एक करके हम सजाते हैं इसे,
हम अग
+
हम अगर कह दें कि यह दुनिया हमारी है तो है
कह दें कि यह दुनिया हमारी है तो है |
+
  
 
रात कोठे पर बिताता है कि होटल में कोई,
 
रात कोठे पर बिताता है कि होटल में कोई,
रोशनी में दिन कि मंदिर का पुजारी है तो है|
+
रोशनी में दिन कि मंदिर का पुजारी है तो है
  
 
अपनी कोमल भावना के रक्त में डूबी हुई,
 
अपनी कोमल भावना के रक्त में डूबी हुई,
मात्र श्रद्धा आज भी भारत की नारी है तो है |
+
मात्र श्रद्धा आज भी भारत की नारी है तो है
  
हैं तो हैं दुनिया से बेपरवा  परिंदे शाख़
+
हैं तो हैं दुनिया से बेपरवा  परिंदे शाख़ पर,
पर,
+
घात में उनकी कहीं कोई शिकारी है तो है
घात में उनकी कहीं कोई शिकारी है तो है|
+
  
आप छल-बल के धनी हैं जीतियेगा आप ही,
+
आप छल-बल के धनी हैं जीतिएगा आप ही,
आपसे बेहतर मेरी उम्मीदवारी है तो है|
+
आपसे बेहतर मेरी उम्मीदवारी है तो है
  
देश के सम्पन्नता कितनी बढ़ी है, देखिये,
+
देश के सम्पन्नता कितनी बढ़ी है, देखिए,
सोचिये क्यों ? देश की जनता भिखारी है तो है |
+
सोचिए क्यों ? देश की जनता भिखारी है तो है
  
 
दिल्लियों अमृतसरों की भीड़ में खोई हुई,
 
दिल्लियों अमृतसरों की भीड़ में खोई हुई,
देश मे अपने कहीं कन्याकुमारी है तो है |
+
देश मे अपने कहीं कन्याकुमारी है तो है
  
 
“एहतराम” अपने ग़ज़ल-लेखन को कहता है कला,
 
“एहतराम” अपने ग़ज़ल-लेखन को कहता है कला,
आप कहते हैं उसे जादूनिगारी है, तो है |
+
आप कहते हैं उसे जादूनिगारी, है तो है
 
</poem>
 
</poem>

17:09, 29 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

अग्नि वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है,
मौसमों के दरमियाँ इक जंग जारी है तो है ।

जिंदगी का लम्हा लम्हा उसपे भारी है तो है,
क्रांतिकारी व्यक्ति कुछ हो क्रांतिकारी है तो है ।

मूर्ति सोने की निरर्थक वस्तु है उसके लिए,
मोम की गुड़िया अगर बच्चे को प्यारी है तो है ।

खूँ- पसीना एक करके हम सजाते हैं इसे,
हम अगर कह दें कि यह दुनिया हमारी है तो है ।

रात कोठे पर बिताता है कि होटल में कोई,
रोशनी में दिन कि मंदिर का पुजारी है तो है ।

अपनी कोमल भावना के रक्त में डूबी हुई,
मात्र श्रद्धा आज भी भारत की नारी है तो है ।

हैं तो हैं दुनिया से बेपरवा परिंदे शाख़ पर,
घात में उनकी कहीं कोई शिकारी है तो है ।

आप छल-बल के धनी हैं जीतिएगा आप ही,
आपसे बेहतर मेरी उम्मीदवारी है तो है ।

देश के सम्पन्नता कितनी बढ़ी है, देखिए,
सोचिए क्यों ? देश की जनता भिखारी है तो है ।

दिल्लियों अमृतसरों की भीड़ में खोई हुई,
देश मे अपने कहीं कन्याकुमारी है तो है ।

“एहतराम” अपने ग़ज़ल-लेखन को कहता है कला,
आप कहते हैं उसे जादूनिगारी, है तो है ।