भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अचल अमल अज अनघ अचर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:01, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग मारू-ताल धमार)

अचल अमल अज अनघ अचर-चर अजगव-धर हर।
 अकल सकल खल-दमन शमन-यम-भय शशधर-धर॥
 अखय अटल तन विमल अतन गणधर अजगर-धर।
 भव-भय-हर अघ-हरण अभय-कर भज भव हर-हर॥