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अच्छा मौसम आने वाला है / जयकृष्ण राय तुषार

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समाचार है अच्छा मौसम आने वाला है भीमसेन सा पंचम सुर में गाने वाला है


इन्द्रधनुष की प्रत्यंचा फिर गगन कस रहा हरे भरे जंगल में आकर हिरन बस रहा कोई फूलों में आकर बतियाने वाला है


प्यासे खेत पठार लोकरंगों में डूबे रेत हुई नदियों के रूमानी मंसूबे कोई देकर अपना हाथ छुड़ानेवाला है


साँस -साँस में गंध गुलाबी हवा बह रही तोड़ रहीं छत इच्छाएं दीवार ढह रही भटकन में भी कोई राह बतानेवाला है


मन केरल की मृगनयनी आँखों में खोया थका हुआ चेहरा सागर लहरों ने धोया कोई काट चिकोटी हमें सताने वाला है